Big Breaking:-पहाड़ से मंडी में मटर की आवक घटी, बाजार में बढ़े दाम

उत्तराखंड की मंडियों में पहाड़ी मटर की आवक लगभग न के बराबर है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश से मटर आने के कारण दाम बढ़ गए हैं।

स्थानीय उत्पादन में कमी और बाहरी राज्यों से आपूर्ति के कारण बाजार में मटर महंगा हो गया है, जिससे उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है।

हल्द्वानी। पहाड़ी क्षेत्रों में मटर का सीजन अगस्त, सितंबर माह में होता है, लेकिन इस बार बे-मौसम बरसात होने से मटर की काफी फसल खराब हुई है। इससे पहाड़ में मटर की फसल काफी कम हो गई है।

ऐसे में मंडी से मैदानी क्षेत्र जैसे दिल्ली, उत्तर प्रदेश से मटर मंगवाई जा रही है। इसके कारण बाजार में भी मटर के रेट काफी बढ़ गए है। इससे आम जनता समेत किसान परेशान हैं।

कुमाऊं की सबसे बड़ी हल्द्वानी की नवीन मंडी में विभिन्न राज्यों से फल, सब्जियाें की आवक होती है। वहीं पर्वतीय जिलों से भी बड़ी मात्रा में सब्जियों की आवक होती है। इन दिनों मंडी में पहाड़ी क्षेत्रों से मटर की आवक काफी कम हो गई है।

इसका कारण बे मौसम बरसात से मटर की फसल खराब होना है। मटर उगने के सीजन में बारिश से फसल को नुकसान पहुंचा है। इससे किसान काफी निराश हैं। वहीं पहाड़ से मंडी पहुंचाने के लिए मटर की कमी हो गई है।

हल्द्वानी मंडी में रोजाना करीब 40 से 50 क्विंटल मटर की आवक ही हो रही है। आवक कम होने से बाजार में मटर के दाम बढ़ गए है। फुटकर बाजार में मटर का दाम 150-160 रुपये किलो चल रहा है। यह मटर भी मैदानी क्षेत्रों से आ रही है। जिसका स्वाद पहाड़ी मटर जितना अच्छा नहीं है।

सब्जियों के रेट :

सब्जीदाम
मटर 150-160
बीन 80-100
गोभी 80-100
शिमला60-70
टमाटर 40-50
आलू 30-40

नोट : सब्जियों के रेट रुपये प्रतिकिलो में हैं।

सितंबर, अगस्त में मटर का सीजन होता है। इस बार बारिश से काफी फसल खराब हुई है। मंडी तक देने के लिए मटर नहीं बची है।

नरेश कुमार, मुक्तेश्वर


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