Big Breaking:-उत्तराखंड के पहाड़ों की गुनगुनी धूप में लीजिए माल्टा-नींबू का स्वाद, उद्यान विभाग आयोजित करेगा महोत्सव

उत्तराखंड में सर्दियों के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ‘घाम तापो-नींबू सानो’ थीम पर माल्टा-नींबू महोत्सव की श्रृंखला शुरू करने जा रही है। इस पहल का उद्देश्य पर्यटकों को पहाड़ की जीवंत संस्कृति और सामाजिक परंपरा से जोड़ना है,

जिसमें सने हुए माल्टा और गलगल जैसे नींबू वर्गीय फलों का स्वाद लेना शामिल है। पहला माल्टा महोत्सव देहरादून में आयोजित किया जाएगा, जिसमें राज्यपाल, मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारी भाग लेंगे।

देहरादून: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी वर्ष मार्च में गंगोत्री धाम के शीतकालीन गद्दीस्थल मुखबा के दौरे में उत्तराखंड में सर्दियों में ‘घाम तापो’ पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर दिया था।

अब राज्य सरकार इसमें पहाड़ की जीवंत और सामाजिक सांस्कृतिक परंपरा का तड़का भी लगाने जा रही है। यह है सना हुआ नींबू। यानी, पहाड़ की वादियों में सैलानी आएं और गुनगुनी धूप में बैठकर सने हुए माल्टा, गलगल का स्वाद भी लें।

इससे नींबू वर्गीय फलों को प्रोत्साहन तो मिलेगा ही सैलानी भी नए अनुभव का एहसास करेंगे। इसके लिए ‘घाम तापो-नींबू सानो’ थीम पर उद्यान विभाग माल्टा-नींबू महोत्सव की श्रृंखला प्रारंभ करने जा रहा है।

सना नींबू पहाड़ की विशिष्ट डिश

पहाड़ों में सर्दी में घाम तापना (धूप सेंकना) एक सामूहिक गतिविधि है। घर, आंगन अथवा खेत-खलिहानों में धूप में बैठकर लोग माल्टा, गलगल (पहाड़ी नींबू) को छीलकर उसके गूदे में गुड़ अथवा चीनी, भंगजीरा का नमक, दही मिलाते हैं।

फिर से चाव से खाया जाता है। यही है सना हुआ नींबू। पहाड़ के गांवों, कस्बों में सामाजिक संवाद और सामूहिकता की प्रतीक यह परंपरा जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है।

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण

पहाड़ी नींबू विटामिन सी का अच्छा स्रोत है, जो सर्दियों में प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने में सहायक माना जाता है।

नींबू में मिलाई गई दही पाचन को संतुलित करती है तो गुड़ व चीनी ऊर्जा प्रदान करती है, जबकि भंगजीरा पारंपरिक रूप से ऊष्मा देता है।

स्थानीय संस्कृति से जुड़ेंगे सैलानी

सैलानी सर्दियों में धूप सेंकते हुए सने नींबू का स्वाद लेंगे तो वे स्थानीय संस्कृति से भी जुड़ेंगे। कारण यह कि सने हुए नींबू केवल स्वाद ही नहीं देते, बल्कि पहाड़ की जीवन शैली, मौसम व संस्कृति से भी जोड़ते हैं।

होम स्टे, कैफे और पर्यटन गतिविधियों के माध्यम से नींबू सानने को स्थानीय खाद्य अनुभव के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।

राज्यपाल, सीएम व अधिकारी लेंगे सने नींबू का स्वाद

घाम तापो-नींबू सानो थीम पर पहला माल्टा महोत्सव तीन जनवरी को देहरादून के सर्किट हाउस में प्रस्तावित है।

उत्तराखंड औद्यानिकी परिषद के सीईओ डा नरेंद्र यादव के अनुसार कार्यक्रम में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री समेत शासन-प्रशासन के अधिकारी इस महोत्सव में शामिल होंगे।

सभी सने नींबू का स्वाद लेंगे। इस अवसर पर माल्टा व नींबू वर्गीय फलों की बिक्री भी की जाएगी। इसके बाद जिला स्तर पर भी ऐसे आयोजन होंगे।

राज्य में नींबू प्रजाति (माल्टा, पहाड़ी नींबू समेत अन्य)

जिलाक्षेत्रफल उत्पादन
पिथौरागढ़1240.906667.10
टिहरी1215.485184.68
अल्मोड़ा11204578.30
नैनीताल538.754496.53
पौड़ी992.832706.82
चमोली711.682100.17
चंपावत11092084
ऊधम सिंह नगर329.091576.33
रुद्रप्रयाग761.851513.08
हरिद्वार 313.551495.40
बागेश्वर 458.221399.18
उत्तरकाशी609.111371.67
देहरादून667.091304.55

(नोट: क्षेत्रफल हेक्टेयर और उत्पादन मीट्रिक टन में)

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