
उत्तराखंड: मनुष्य-भालू संघर्ष रोकने को वन विभाग अलर्ट,
देहरादून। राज्य में भालू के हमलों और संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार पूरी तरह एक्टिव मोड में आ गई है। त्वरित और प्रभावी कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं।
हाल ही में पौड़ी व आसपास के क्षेत्रों में भालू व सूअर द्वारा हो रही घटनाओं पर विस्तृत समीक्षा की है और मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए मैदानी स्तर पर कार्रवाई को तेज करने पर जोर दिया है।
क्या हैं मुख्य निर्देश?
ग्रामीण क्षेत्रों में जनजागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सतर्क रहने की जानकारी दी जाए
आवासीय इलाकों के पास रोशनी, फेंसिंग और कचरा प्रबंधन की पुख्ता व्यवस्था
वन क्षेत्रों व उनसे सटे गांवों में क्विक रिस्पॉन्स टीम तैनात रहे
मोबाइल नेटवर्क/वायरलेस को सक्रिय रखा जाए
घायल भालू या इंसान के मामलों में चिकित्सा सहायता तुरंत उपलब्ध कराई जाए
संघर्ष वाले क्षेत्रों में ट्रैंक्युलाइज कर पकड़ने की कार्रवाई
आंकड़े बता रहे चिंता बढ़ी है
वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार—
साल 2025 में अब तक
69 लोग भालू के हमले में घायल हुए
5 लोगों की मौत हो चुकी है
सबसे ज्यादा मामले गढ़वाल मंडल, विशेषकर श्रीनगर, कर्णप्रयाग, चमोली व पौड़ी इलाके में दर्ज हुए हैं।
ग्राउंड पर कार्रवाई
रिपोर्ट के अनुसार कई क्षेत्रों में—
भालुओं को सुरक्षित पुनर्वास हेतु रेस्क्यू किया गया
गांवों में अलर्ट मोड पर वन कर्मियों की टीम सक्रिय
ग्राम प्रमुखों और स्थानीय प्रतिनिधियों को लगातार अपडेट दिए जा रहे
वन विभाग ने मांगा सहयोग
वन विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि—
भालू दिखने पर भीड़ इकट्ठा न करें
कचरा खुले में न डालें
वन क्षेत्र में अकेले न जाएं
सरकार का साफ संदेश
मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकना शीर्ष प्राथमिकता है और किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।








