Big Breaking:-उत्तराखंड: कैसे संवरेगा नौनिहालों का भविष्य, स्कूल में बच्चे से कार धुलवा रहा था शिक्षक.. विडियो

अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल इसलिए भेजते हैं ताकि वे पढ़-लिखकर बेहतर भविष्य बना सकें। लेकिन यदि स्कूलों में शिक्षक बच्चों से अपने निजी कार्य करवाने लगें, तो यह न केवल निंदनीय है बल्कि शिक्षा के मूल उद्देश्यों पर भी आघात है।

चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले से शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाला एक मामला सामने आया है। यहां एक शिक्षक द्वारा स्कूल के छात्र से अपनी कार धुलवाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर कड़ी नाराज़गी जताते हुए लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

दरअसल, चमोली जिले के एक शिक्षक द्वारा स्कूल के छात्र से अपनी कार धुलवाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वायरल वीडियो में यूनिफॉर्म में एक छात्र स्कूल गेट के बाहर हाथ में पानी का पाइप लेकर कार धोता नजर आ रहा है। यह घटना थराली ब्लॉक के गोठिण्डा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जूनिधार की बताई जा रही है।

स्कूल गेट के बाहर अपनी गाड़ी से गुजरते हुए एक व्यक्ति ने छात्र का वीडियो अपने मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड किया। छात्र को देख उक्त व्यक्ति अपनी कार से उतरा और उससे सवाल पूछने लगा।

वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने जब छात्र से सवाल किया कि वो किसकी कार धो रहा है तो उसने बताया गुरूजी की कार है। उसके बाद छात्र चुपचाप फिर से शिक्षक की कार धोने लग जाता है।

कुछ देर बाद स्कूल कैम्पस के अंदर से एक शिक्षक भी बाहर आते हुए दिखाई देते हैं और सफाई देते हुए माफी मांगने की कोशिश करते हैं। विडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए यह तुरंत वायरल हो गई।

फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कार उसी शिक्षक की है या किसी अन्य स्टाफ सदस्य की है। मामले की आधिकारिक पुष्टि और जांच के बाद ही इसकी सच्चाई सामने आएगी। अब तक शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों ने इस घटना का संज्ञान नहीं लिया है।

सोशल मीडिया यूजर्स जता रहे नाराज़गी


सोशल मीडिया यूजर्स विडियो को लेकर कड़ी नाराज़गी जताते हुए लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस घटना ने उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।

अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल इसलिए भेजते हैं ताकि वे पढ़-लिखकर बेहतर भविष्य बना सकें। लेकिन यदि स्कूलों में शिक्षक बच्चों से अपने निजी कार्य करवाने लगें, तो यह न केवल निंदनीय है बल्कि शिक्षा के मूल उद्देश्यों पर भी आघात है।

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