
एपीओ के पद बढ़ने से अदालतों में सरकार का पक्ष मजबूत होगा। देहरादून, ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार और नैनीताल जिलों के लिए पद सृजित हुए हैं।
सहायक अभियोजन अधिकारी (एपीओ) के 46 पद बढ़ने से अब अदालतों में सरकार का पक्ष मजबूती से रखा जाएगा।
इसके अलावा विभिन्न कानूनी पहलुओं का मंथन भी आसानी से हो सकेगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब अभियोजन विभाग का ढांचा 188 का हो गया है। इसमें से अब 137 सृजित पद हो गए हैं।
नए पदों का सृजन प्रदेश के सबसे अधिक मुकदमों वाले चार जिलों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल के लिए किया गया है। राज्य गठन के बाद अभियोजन संवर्ग (ढांचा) के कुल 142 पद थे।
इनमें समय-समय पर कुल 91 पद सृजित किए गए थे। अब ढांचे को पुनर्गठित करते हुए कैबिनेट से मंजूर ढांचे के सहायक अभियोजन अधिकारी के अतिरिक्त 46 पद और सृजित किए हैं।
विधि साक्षरता और प्रचार प्रसार को भी मिलेगा बल
संयुक्त निदेशक अभियोजन गिरीश पंचोली ने बताया कि इससे रिक्त चल रहे पदों को भरा जाएगा। इसके बाद इन चारों जिलों में अदालत का पक्ष मजबूती से रखा जाएगा। इसके अलावा अभियोजन विभाग के अन्य कामों में तेजी आएगी। विधि साक्षरता और प्रचार प्रसार को भी बल मिलेगा।
गौरतलब है कि इससे पहले वर्ष 2021 में लोक सेवा आयोग के माध्यम से सहायक अभियोजन अधिकारी के 63 पदों के लिए भर्ती निकाली गई थी। इसमें से परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद प्रदेश को कुल 53 सहायक अभियोजन अधिकारी मिले थे।
नए आपराधिक कानूनों में भी अभियोजन विभाग को सुदृढ़ करने पर जोर दिया गया है। ऐसे में कुछ विशेष कोर्ट में अभियोजन संवर्ग के अधिकारियों को ही सरकार की ओर से पैरवी के लिए तैनात किया गया है। इनमें देहरादून में बड्स एक्ट और गैंगस्टर एक्ट की विशेष अदालतें प्रमुख हैं।









