
उत्तराखंड में वन विभाग ने पर्यटकों को प्रकृति से जोड़ने के लिए जंगल सफारी शुरू की है। इस सफारी में पर्यटक जीप में जंगल घूमकर वन्यजीवों को देख सकते हैं।
सफारी शुरू होते ही पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। वन विभाग का उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
अल्मोड़ा। मोहान के जंगलों में लंबे इंतजार के बाद शनिवार से जंगल सफारी सीजन की शुरुआत हो गई है। वन विभाग ने विधिवत पूजा-अर्चना कर सफारी मार्ग खोल दिया गया।
शुरुआत के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों से आए पर्यटकों ने जंगल की सैर का रोमांच उठाना शुरू कर दिया है।
सुबह से ही पर्यटकों की भीड़ उमड़ने लगी, जिससे पूरे क्षेत्र में रौनक लौट आई है। बीते वर्ष वन विभाग को जंगल सफारी से 80 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था।
जंगल सफारी के पहले दिन सुबह के समय तीन गाड़ियां पहुंची। 12 सफारी की बुकिंग हो चुकी है, जो शाम तक पहुंचेंगे। वन विभाग को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में पर्यटकों की संख्या और बढ़ेगी। फिलहाल व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो रही है और पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य तथा वन्यजीवों की झलक पाने को उत्साहित दिखे।
पर्यटकों की सुविधा के लिए वन विभाग जल्द कैंटीन खोलने की योजना पर भी काम कर रहा है, ताकि जंगल सफारी के दौरान भोजन एवं नाश्ते की दिक्कत न हो। सफारी संचालन के लिए वन विभाग प्रति जिप्सी 1800 रुपये शुल्क लेता है, जबकि शेष राशि जिप्सी चालक पर्यटकों से लेते हैं। इस व्यवस्था से स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल रहा है।
दुर्लभ वनस्पतियां व वन्यजीव बढ़ाते हैं रोमांच
मोहान क्षेत्र का जंगल लगभग 25 किलोमीटर लंबे वन क्षेत्र में फैला है, जो समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहां बाघ, तेंदुआ, चीतल, गोरल, कस्तूरी हिरण, जंगली सूअर, हिमालयन ब्लैक बियर, लोमड़ी सहित कई महत्वपूर्ण वन्यजीव प्रजातियां पाई जाती हैं।
पक्षियों में मोनल, कोक्लास और विभिन्न फेजन प्रजातियां इस क्षेत्र की खूबसूरती बढ़ाती हैं। घने देवदार, बांज और बुरांश के जंगलों से घिरे इस इलाके में पर्यटकों को प्राकृतिक वातावरण में वन्यजीवों के दर्शन का अनूठा अवसर मिलता है। मोहान रेंज अल्मोड़ा की वन संपदा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
जंगल सफारी के शुरू होने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियां बढ़ने की उम्मीद है। – उमेश पांडेे, वन क्षेत्राधिकारी, मोहान रेंज, अल्मोड़ा








