Big Breaking:-शराब के शौकीनों को अब ज्‍यादा ढीली करनी होगी जेब! उत्तराखंड में बढ़ सकते हैं दाम

उत्तराखंड में आबकारी वेट को लेकर वित्त और आबकारी विभाग में मतभेद है। वित्त विभाग पुराने फार्मूले से वेट लगाने की पैरवी कर रहा है, जबकि आबकारी विभाग इसे उत्तर प्रदेश की तरह वेट मुक्त करने का समर्थन कर रहा है।

मामला अब मुख्य सचिव कार्यालय में प्रस्तुत किया जाएगा। आबकारी विभाग प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व देने वाले विभागों में से एक है।

देहरादून। इस समय आबकारी के वेट (वेल्यू एडेड टैक्स) को लेकर वित्त व आबकारी विभाग आपने सामने हैं। एक ओर वित्त विभाग आबकारी की कीमत में वेट लिए जाने वाले फार्मूले का निर्धारण पुराने सिरे से करने की पैरवी कर रहा है तो वहीं,

आबकारी विभाग इसे उत्तर प्रदेश की भांति वेट मुक्त करने की पैरवी कर रहा है। बहरहाल विषय अब मुख्य सचिव कार्यालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।

आबकारी विभाग प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व देने वाले विभागों में शामिल है। विभाग ने गत वर्ष 4500 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य हासिल किया था। वर्ष 2025-25 के लिए राजस्व लक्ष्य 5060 करोड़ रुपये रखा गया है। आबकारी विभाग द्वारा इस लक्ष्य को हासिल करने का एक बड़ा कारण यहां शराब की कीमतों पर काफी हद तक नियंत्रण होना है।

यद्यपि, यह कीमतें पड़ोसी हिमाचल से अधिक है। यही कारण भी है कि हिमाचल व हरियाणा से यहां सबसे अधिक शराब की तस्करी होती है। इसे देखते हुए बीते कुछ वर्षों से आबकारी विभाग ने शराब की कीमतों को काफी हद तक नियंत्रित किया है।

प्रदेश में अभी जो शराब की कीमत तय की जाती है, उसमें वेट की गणना एक्साइज डयूटी पर की जाती है। इसके बाद इसमें एमजीडी यानी मिनिमम गारंटी ड्यूटी जोड़ी जाती है। पहले एक्साइज ड्यूटी व एमजीडी को जोड़ने के बाद इसमें वेट की गणना होती थी।

इससे वेट अधिक मिलता था। अब एमजीडी के बाद में जुड़ने से वेट कम हो रहा है। इसका फायदा शराब की कीमतों को नियंत्रित करने में मिल रहा है। अब वित्त विभाग पुराने तरीके से वेट की गणना करने की बात कर रहा है, इससे शराब की कीमतों में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।

इसे देखते हुए आबकारी विभाग अब वेट को उत्तर प्रदेश की तर्ज पर समाप्त करने की पैरवी कर रहा है। उसका तर्क है कि शराब की कीमतें नियंत्रित होने से विभाग को 350 से 400 करोड़ का राजस्व प्राप्त हो रहा है,

जबकि वेट की पुराने तरीके से गणना करने पर विभाग को तकरीबन 50 करोड़ का ही लाभ होगा। इस संबंध में आयुक्त आबकारी अनुराधा पाल का कहना है कि यह एक नीतिगत विषय है। इस पर उच्च स्तर से निर्णय लिया जाना है।

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