
नैनीताल उच्च न्यायालय ने मानव-वन्यजीव संघर्ष पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को सुझाव देने को कहा है। याचिकाकर्ता के अनुसार, तीन वर्षों में सौ से अधिक लोग वन्यजीव संघर्ष में मारे गए हैं।
अदालत ने सरकार से पहले जारी दिशा-निर्देशों पर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है और याचिकाकर्ता से इस समस्या को कम करने के लिए सुझाव पेश करने का आग्रह किया है। मुआवजा वितरण में देरी पर भी चिंता जताई गई।
नैनीताल। हाई कोर्ट ने मानव वन्यजीव संघर्ष को लेकर दायर जनहित याचिका पर याचिकाकर्ता को इस पर अंकुश के लिए अपनी ओर से कोर्ट के समक्ष सुझाव पेश करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि तीन साल में सौ से अधिक लोग वन्यजीव संघर्ष के शिकार हो चुके हैं।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता देहरादून निवासी अनु पंत की ओर से कहा गया कि मानव वन्यजीव संघर्ष में कमी लाने के लिए पूर्व में जारी दिशा-निर्देशों पर राज्य सरकार की ओर से प्रभावी एसओपी जारी नहीं की गई।
2022 में जनहित याचिका दायर करने से लेकर अब तक 100 ग्रामीण वन्यजीवों का शिकार हो चुके है।अभी तक तमाम प्रभावितों को वन विभाग की ओर से मुआवजा नहीं दिया गया जबकि राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पूर्व में जारी दिशा निर्देशों से संबंधित अनुपालन रिपोर्ट पेश कर दी है।
जिस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से अनुपालन रिपोर्ट का जवाब देते हुए अपने सुझाव भी कोर्ट में पेश करने को कहा। जिससे कि मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में कमी लाई जा सके। पूर्व में कोर्ट ने राजाजी नेशनल पार्क से संबंधित प्लान पेश करने के निर्देश दिए थे।
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु के नेशनल पार्कों से बेहतर प्लान बनाकर टाइगर संरक्षण करने को कहा था ताकि मानव वन्यजीव संघर्ष को रोका जा सके। अब जो अनुपालन रिपोर्ट सरकार की तरफ से पेश की गई वह पर्याप्त नही है।
देहरादून निवासी अनु पंत ने नवंबर 2022 में जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट ने नवंबर 2022 में इस मामले की सुनवाई के बाद प्रमुख सचिव वन को मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने के निर्देश दिए थे।
तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल की ओर से दाखिल शपथ पत्र में केवल कागजी कार्रवाई का उल्लेख था और धरातल पर मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने का कुछ उल्लेख नही था । ।









