
आवास विभाग ईज ऐप का नया वर्जन ला रहा है, जो एआई और सैटेलाइट तकनीक पर आधारित होगा। खसरा नंबर डालते ही प्लाट की पूरी जानकारी मिल जाएगी।
एआई फ्लोर एरिया रेशियो, पार्किंग और बिल्डिंग कोड की गणना करेगा और डिजाइन के विकल्प भी देगा। यह दस्तावेजों की जांच करेगा और त्रुटियों को बताएगा, जिससे नक्शा अनुमोदन में तेजी आएगी। अन्य राज्य भी ऐसी तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।
देहरादून। आवास विभाग ने भवन निर्माण, नक्शा स्वीकृति व अन्य कई सेवाओं की आनलाइन सुविधा प्रदान करने के लिए ईज एप निर्मित कराया। इसकी कार्यप्रणाली को कई बड़े मंचों पर सराहा गया। अब आवास विभाग इसका नया वर्जन ईज एप-2.0 तैयार करा रहा है।
यह पूरी तरह एआइ और सेटेलाइट तकनीक पर आधारित होगा। जमीन का खसरा नंबर डालते ही प्लाट और आसपास की पूरी जानकारी कुछ सेकंड में ही उपलब्ध करा दी जाएगी।
एआइ और सेटेलाइट डेटा मिलकर बताएंगे कि प्लाट तक पहुंचने वाली सड़क कितनी चौड़ी है, इलाके में ढलान किस दिशा में है, भू-आकृति कैसी है और जमीन किस जोन में आती है। यह जानकारी पहले विकास प्राधिकरण में लेखपाल या विशेषज्ञों से ही मिलती थी, अब यह बिना देरी के मोबाइल या कंप्यूटर पर उपलब्ध होगी।
ईज एप – 2.0 फ्लोर एरिया रेशियो, ग्राउंड कवरेज, पार्किंग, सेटबैक, भवन की ऊंचाई सीमा और बिल्डिंग कोड के सभी नियमों की स्वतः गणना करेगा। प्लाट के आकार और लोकेशन के अनुसार एआइ पहले से तैयार डिजाइन और नक्शों के विकल्प भी सुझाएगा, जिन्हें भूमि स्वामी अपनी आवश्यकता के अनुसार चुन सकेंगे।
नक्शे का आवेदन भरते समय एआइ यह भी बताएगा कि कहीं कोई दस्तावेज छूट तो नहीं गया, या नक्शे में कोई तकनीकी त्रुटि तो नहीं है। इससे आवेदन बार-बार लौटने की समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी और नक्शा अनुमोदन की प्रक्रिया तेज हो जाएगी।
ईज एप 2.0 लागू होने से उत्तराखंड में भवन निर्माण स्वीकृति प्रक्रिया पूरी तरह डेटा आधारित, पारदर्शी और वैज्ञानिक हो जाएगी।
एआइ यह देगा जानकारी
- आपके प्लाट तक जाने वाली सड़क कितनी चौड़ी है।
- आसपास के रास्तों और इलाके की सही स्थिति क्या है।
- जमीन ऊची, नीची या समतल है, ढलान किस दिशा में।
- खाली छोड़ने वाली जगह व ग्राउंड कवरेज की जानकारी।
- कितनी मंजिलें बन सकती हैं (फ्लोर एरिया रेशियो)
- इमारत की अधिकतम ऊंचाई, पार्किंग की जानकारी।
- सीढ़ी और लिफ्ट के नियम, हवा-रोशनी के मानक।
अन्य राज्यों में भी बगैर देरी नक्शे को मंजूरी
उत्तराखंड के साथ ही अन्य राज्य भी एआइ आधारित भवन मानचित्र स्वीकृति सिस्टम की ओर बढ़ रहे हैं। हाल ही में तेलंगाना में बिल्ड नाउ नाम से एआइ आधारित एप लांच किया है। यह नक्शे को अपलोड करते ही त्रुटि की जांच कर स्वीकृति सेकंडों में दे देता है।
वहीं, आंध्र प्रदेश ने 18 मीटर तक की इमारतों के लिए एक आनलाइन स्वप्रमाणन माडल लागू किया है, जिससे आर्किटेक्ट के सत्यापन के बाद भवन मानचित्र को मंजूरी बिना देरी के मिल जाती है। उत्तराखंड का ईज एप -2.0 भी इसी तरह का अत्याधुनिक माडल है।
ईज एप को लगातार उन्नत बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, एआइ आधारित नया वर्जन बनाना भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है, ताकि अधिकतम सेवाओं को आनलाइन प्रदान किया जा सके।
–
-आर मीनाक्षी सुंदरम, प्रमुख सचिव-आवास









