
देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की स्नातक स्तरीय परीक्षा पेपर लीक मामले को लेकर राज्य में सियासी और सामाजिक माहौल लगातार गरमा रहा है। बेरोजगार युवा सीबीआई जांच की मांग पर अड़े हैं और राजधानी देहरादून से लेकर पहाड़ तक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
इसी बीच हरिद्वार से भाजपा सांसद और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान सामने आया है, जिसने इस विवाद को और तेज कर दिया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बेरोजगार युवाओं के समर्थन में खुलकर सीबीआई जांच कराने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि युवाओं में इस समय गहरा आक्रोश है और उनकी मांग जायज़ है।
अगर सीबीआई जांच कराने से युवाओं का भरोसा बहाल होता है तो मुख्यमंत्री को तुरंत इसकी घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच कराने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है और यह कदम युवाओं के बीच सरकार की छवि को भी मजबूत करेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने साथ ही युवाओं को रोजगार के मुद्दे पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि सरकारें अक्सर यह दावा करती हैं कि सभी को रोजगार मिलेगा, लेकिन हकीकत यह है कि हर किसी को सरकारी नौकरी देना संभव नहीं है।
युवाओं को भी इस सच्चाई को समझते हुए स्वरोजगार और उद्यमिता की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि रोजगार केवल सरकारी नौकरी तक सीमित नहीं है, बल्कि आज के दौर में स्व-रोजगार के कई नए अवसर मौजूद हैं।
गौरतलब है कि वर्तमान में धामी सरकार हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में SIT से जांच करा रही है। लेकिन युवाओं का कहना है कि SIT पर उन्हें भरोसा नहीं है और केवल सीबीआई ही निष्पक्ष जांच कर सकती है। दूसरी ओर, विपक्ष लगातार सरकार पर युवाओं की आवाज दबाने और मामले को दबाने के आरोप लगा रहा है।
अब त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान ने भाजपा सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं, क्योंकि यह बयान सीधे तौर पर बेरोजगार संघ की मांग का समर्थन करता है। आने वाले दिनों में सरकार सीबीआई जांच को लेकर क्या रुख अपनाती है, इस पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।
