
प्रधानाचार्य सीमित विभागीय परीक्षा आठ फरवरी 2026 को होनी थी। अब शासन ने आयोग से प्रस्ताव लौटाने के लिए कह दिया है।
प्रदेश में प्रधानाचार्य सीमित विभागीय परीक्षा पर एक बार फिर रोक लग गई है। परीक्षा की तिथि घोषित होने के बाद अब शासन ने राज्य लोक सेवा आयोग से परीक्षा कराए जाने का प्रस्ताव वापस मांग लिया है।
प्रदेश के राजकीय इंटरमीडिएट कालेजों में प्रधानाचार्य के 1385 पदों में से 1184 पद खाली हैं। सरकार ने इन पदों को भरने के लिए 50 प्रतिशत पदों पर प्रधानाचार्य सीमित विभागीय परीक्षा कराने का निर्णय लिया था।
इसके लिए प्रधानाचार्य सेवा नियमावली में संशोधन के बाद शासन ने राज्य लोक सेवा आयोग को भर्ती परीक्षा के लिए प्रस्ताव भेजा था। परीक्षा आठ फरवरी 2026 को होनी थी। अब शासन ने आयोग से प्रस्ताव लौटाने के लिए कह दिया है।
शिक्षा सचिव रविनाथ रामन ने सचिव राज्य लोक सेवा आयोग को इस संबंध में पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के एक सितंबर 2025 के आदेश पर न्याय विभाग का परामर्श लिया जा रहा है। सीमित विभागीय भर्ती परीक्षा का प्रस्ताव वापस किया जाए। आयोग को भर्ती परीक्षा के संबंध में निर्णय से अलग से अवगत कराया जाएगा।
शिक्षकों का विरोध भी है वजह
राजकीय शिक्षक संघ प्रधानाचार्य सीमित विभागीय परीक्षा का शुरू से विरोध कर रहा है। आंदोलन के क्रम में शिक्षकों ने एक नवंबर को शिक्षा मंत्री आवास कूच का एलान किया है। बताया गया कि परीक्षा का प्रस्ताव वापस मांगे जाने की एक वजह शिक्षकों का परीक्षा को लेकर विरोध भी है।
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान का कहना है कि शिक्षक संघ के साथ कार्मिक सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में कुछ मांगों पर सहमति बनी थी, जब तक इस पर आदेश जारी नहीं होता, शिक्षकों का आंदोलन जारी रहेगा।









