Big Breaking:-उत्‍तरकाशी में सड़कों के हाल, जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर पांच गांव के ग्रामीण

पुरोला। सीमांत मोरी विकासखंड की पंचगांई पट्टी के पांच गांव के ग्रामीण जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर हैं। यहां बेंचा घाटी व फिताड़ी गांव के नीचे दो किमी सड़क पर लगातार भूस्खलन जारी है।

इस कारण लिवाड़ी, फिताड़ी, रेक्चा, राला व कासला गांव के ग्रामीणों के लिए सफर करना मुसीबत व परेशानी से भरा बना हुआ है। वर्षाकाल के दौरान हुए भूस्खलन से सड़क कई जगह धंस गई है और जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं।

स्थिति ये है कि लोगों को रोजाना जान जोखिम में डालकर आवाजाही करनी पड़ रही है। वहीं, वर्षाकाल थमे एक माह से अधिक का समय बीत चुका है। लेकिन मोरी में आज भी सड़कों पर लगातार भूस्खलन जारी है।

प्रधान फिताड़ी कृष्णा राणा, पूर्व प्रधान प्रहलाद सिंह ने बताया कि जखोल-लिवाड़ी-फिताड़ी सड़क पांच गांवों की जीवन रेखा है एवं यह मार्ग लिवाड़ी, फिताड़ी,रेक्चा,राला,कासला अर्थात पंचगांई पट्टी के गांवों को ब्लॉक मुख्यालय से जोड़ता है। हर साल वर्षाकाल में वाहनों की आवाजाही बंद हो जाती है, लोगों का पैदल सफर बेहद जोखिम भरा हो चुका है।

कई बार गाड़ियां दलदल व मलबे में फंस जाती हैं, जिन्हें रस्सियों से निकालना भी बहुत ही कठिन है। लगातार शिकायत करने के बाद भी विभागीय अधिकारी सुनवाई के बजाय शिकायत करने वालों को ही धमकी दे रहे हैं।

मोरी के जेष्ठ उप प्रमुख व फिताडी गांव निवासी त्रेपन सिंह राणा व महावीर राणा का कहना है कि बेंचा व फिताड़ी गांव के नीचे भूस्खलन व भूधंसाव क्षेत्र का नवीन समरेखण ही एक मात्र विकल्प है। बेंचा से सावणी-सटूडी के लिए प्रस्तावित सड़क से ही फिताड़ी सड़क को नये समरेखण से जोड़ना ही भविष्य के लिए सुरक्षित व लाभकारी होगा।

क्या कहते हैं वाप्कोस कंपनी के इंजीनियर


वाप्कोस कंपनी के अधिशासी अभियंता आशीष चौधरी ने बताया की बेंचा भूस्खलन क्षेत्र की तकनीकी इंजीनियर व भ-भूर्ग वैज्ञानिकों की टीम ने जांच कर भू-स्खलन क्षेत्र में काम करने को मना कर दिया है।

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