
भाजपा अंदरखाने कांग्रेस नए अध्यक्ष बनने को एक नई चुनौती के रूप में ले रही है। कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी का सामना करने के लिए पार्टी ने टीम उतारी है।
विधानसभा फ्लोर पर 2027 में मजबूत दावेदारी के लिए कांग्रेस ने गोदियाल के रूप में नया फेस तो बना दिया पर सत्ताधारी भाजपा कांग्रेस का प्रदेश में बेस नहीं बनने देना चाहती है। इसके लिए भाजपा ने अलग-अलग ध्रुवों से कील कांटे मजबूत करते हुए अनुभवी नेता मैदान में सक्रिय कर दिए हैं।
पार्टी के नेता भले ही गोदियाल के अध्यक्ष बनने के असर को खारिज कर रहे हों, लेकिन पार्टी नेताओं के बयान ये स्पष्ट करते हैं कि कहीं न कहीं भाजपा ने गोदियाल का गंभीरता से लिया है।
कांग्रेस में हाल ही में नेतृत्व परिवर्तन पर सत्ताधारी भाजपा की बारीक नजर है। इस बदलाव से होने वाले संभावित नफा-नुकसान को लेकर भाजपा नेतृत्व किसी सूरत बेपरवाह नहीं होना चाहता।
पार्टी के आला नेता चाहते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में जीत की राह तलाश रही कांग्रेस को भले ही नया फेस मिल गया हो, लेकिन धरातल पर कांग्रेस का बेस (आधार) मजबूत नहीं होना चाहिए। भाजपा, फिलहाल कांग्रेस नेताओं की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए है।
हरक सिंह रावत के बयानों से लेकर हरीश रावत के दूरगामी कदमों, पार्टी के नए अध्यक्ष की तैयारी से लेकर जिलावार बनाए गए अध्यक्षों की गतिविधियों की भी पूरी निगरानी की जा रही है।
कमजोर आंकने की गलती पड़ सकती है भारी
एक वरिष्ठ भाजपा नेता का मानना है कि भले ही हम कितने मजबूत हों, लेकिन सामने वाले को कमजोर आंकने की गलती भारी पड़ सकती है। क्षत्रिय-ब्राह्मण के बीच उलझी राजनीति को गोदियाल के अध्यक्ष बनने के बाद एक नए बदलाव और सत्ताधारी पार्टी चुनौती के तौर पर भी ले रही है। हालांकि भाजपा में पहले ही संगठन नेतृत्व की जिम्मेदारी महेंद्र भट्ट के पास है।
अब देखने वाली बात यह है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आमजन के बीच इस नेतृत्व परिवर्तन का क्या असर हो रहा और भविष्य में क्या संभावनाएं हैं। सोशल मीडिया में लगातार चल रहे कांग्रेस नेताओं के बयान पर पलटवार करने के लिए भी पार्टी प्रवक्ताओं की टीम तैनात की गई है।
वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेश जोशी से लेकर मनवीर चौहान व अन्य सभी प्रवक्ता लगातार मीडिया, सोशल मीडिया में अपने बयान जारी कर रहे हैं। मकसद है कि कहीं कांग्रेस नेताओं के बयान असरकारी न हों।









