
हरिद्वार नगर निगम भूमि प्रकरण में निलंबित दो वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों के निलंबन पर दो जनवरी को फैसला होगा। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में रिव्यू कमेटी की बैठक में इस पर विचार किया जाएगा।
पूर्व हरिद्वार जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह और नगर आयुक्त वरुण चौधरी पर सराय गांव में 35 बीघा भूमि को बाजार मूल्य से अधिक दरों पर खरीदने का आरोप है। समिति की सिफारिश पर मुख्यमंत्री आगे का निर्णय लेंगे।
देहरादून: हरिद्वार नगर निगम भूमि प्रकरण पर निलंबित भारतीय प्रशासनिक सेवा के दो वरिष्ठ अधिकारियों के निलंबन को लेकर जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
उनकी निलंबित अवधि छह माह होने के कारण नियमानुसार मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में दो जनवरी को रिव्यू कमेटी की बैठक होगी। जिसमें इन अधिकारियों के निलंबन पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
समिति के निर्णय के आधार पर मुख्यमंत्री यह तय करेंगे कि निलंबन की अवधि आगे बढ़ाई जाए अथवा नहीं। नियमानुसार सरकार अपने स्तर से छह माह के लिए ही अधिकारियों को निलंबित रख सकती है, इसके आगे निलंबन बरकरार रखने के लिए केंद्र की अनुमति प्राप्त करनी होती है।
हरिद्वार नगर निगम द्वारा सराय गांव में करीब 35 बीघा भूमि की खरीद को लेकर गंभीर आरोप सामने आए थे। अधिकारियों पर आरोप लगे कि इस भूमि को बाजार मूल्य से कहीं अधिक दरों पर खरीद कर भू-स्वामी को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
इस प्रकरण के सामने आने पर प्राथमिक जांच के बाद शासन ने तत्कालीन हरिद्वार जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह और नगर आयुक्त वरुण चौधरी को निलंबित कर दिया था।
इनके साथ ही एक पीसीएस अधिकारी सहित कुल 12 अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ भी निलंबन की कार्रवाई की गई थी। दोनों आइएएस अधिकारियों की जांच सचिव सचिन कुर्वें को सौंपी गई थी जो उन्होंने शासन को सौंप दी है।
अब इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर रिव्यू कमेटी आगे की कार्रवाई पर विचार करेगी। अपर सचिव कार्मिक नवनीत पांडेय ने कहा कि इस प्रकार के प्रकरणों में यह एक सामान्य प्रक्रिया है।








