Big Breaking:-साइबर अपराधियों के लिए प्रदेश में बुना गया हनी पोट जाल, पहली बार बनाया डाटा सेंटर का क्लोन

केंद्रीय साइबर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) की तर्ज पर सीईआरटी-उत्तराखंड का गठन किया गया है। विशेषज्ञों ने मिलकर साइबर अपराधियों का हनी ट्रैपिंग सिस्टम हनी पोट तैयार किया है। यह हनी पोट राज्य के डाटा सेंटर को सुरक्षा दे रहा है, जो दो साल पहले हुए साइबर हमले में बुरी तरह प्रभावित हुआ था।

दो अक्तूबर 2024 को उत्तराखंड में हुए सबसे बड़े साइबर हमले के बाद आईटी विशेषज्ञों ने ऐसा जाल ‘हनी पोट’ बुना है, जिसमें फंसकर साइबर अपराधी असली डाटा सेंटर तक पहुंचने में नाकाम हो रहे हैं। पहली बार इस तरह का प्रयोग प्रदेश में हुआ, जिससे साइबर सुरक्षा की मजबूती बढ़ गई है।

साइबर अपराधियों से निपटने के लिए आईटी विभाग ने केंद्रीय साइबर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) की तर्ज पर सीईआरटी-उत्तराखंड का गठन किया है। इसमें आईआईटी समेत कई बड़े संस्थानों से आईटी विशेषज्ञ काम कर रहे हैं।

इन विशेषज्ञों ने मिलकर साइबर अपराधियों का हनी ट्रैपिंग सिस्टम हनी पोट तैयार किया है। यह हनी पोट राज्य के डाटा सेंटर को सुरक्षा दे रहा है, जो दो साल पहले हुए साइबर हमले में बुरी तरह प्रभावित हुआ था।

दरअसल, हनी पोट एक ऐसा क्लोन है जो कि दिखने में हूबहू डाटा सेंटर जैसा है। जब कोई साइबर अपराधी यहां हमला करता है तो वह इसे डाटा सेंटर समझकर भीतर घुस जाता है। ऐसा करते ही उसकी एक-एक चाल का पता हमारे आईटी विशेषज्ञों की टीम को चल जाता है।

उसी हिसाब से वह उसे निष्कि्रय कर देते हैं। खास बात ये है कि हनी पोट बनने के बाद से अब तक कई बड़े हमले इस जाल में फंसकर निष्क्रिय हो गए हैं।

उत्तराखंड में हर साल बढ़ रहे साइबर हमले

वर्षसाइबरहमले
201753117
20182,08456
20193,94499
202011,58208
202114,02809
202213,91457
202315,92917
202420,41360

उत्तराखंड में प्रति सप्ताह करीब डेढ़ लाख साइबर हमले होते हैं। हमारी टीम ने इन्हें नाकाम करने के लिए ही साइबर अपराधियों का हनी पोट तैयार किया है, जिससे डाटा सेंटर को काफी सुरक्षा मिल रही है। -डॉ. आशीष उपाध्याय, एजीएम साइबर सुरक्षा, सीईआरटी-उत्तराखंड

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