
हल्द्वानी के सोबन सिंह जीना अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की खराब स्थिति से नाराज स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सीएमओ को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि दस दिनों के भीतर अस्पताल की व्यवस्था ठीक नहीं हुई, तो सीएमओ का तबादला कर दिया जाएगा।
हल्द्वानी के सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल की अव्यवस्थाएं मरीजों और तीमारदारों पर भारी पड़ रही हैं। इलाज के लिए जरूरी सुविधाएं और संसाधनों के अभाव के कारण उन्हें निजी अस्पताल का रुख करना पड़ रहा है।
अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ऐसा भड़के कि उन्होंने व्यवस्थाएं ठीक न होने पर सीएमओ को ही दस दिन में तबादला करने की चेतावनी दे डाली।
एमबी इंटर कॉलेज के मैदान में सहकारिता मेले में हिस्सा लेने के बाद मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बेस अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने बंद पड़े आईसीयू का निरीक्षण करते पांच दिसंबर को इसके उद्घाटन की घोषणा की है।
मंत्री रावत ने इमरजेंसी और अन्य वाडों का निरीक्षण कर भर्ती मरीजों का हाल-चाल जाना। इसके बाद अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि मरीजों को इलाज और दवा लेने में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। वहां सीएमओ हरीश चंद्र पंत, जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट, पार्षद प्रेम बेलवाल, मनोज शाह समेत आदि मौजूद रहे।
बेस अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए समय-समय पर निरीक्षण करने के साथ ही पीएमएस को निर्देशित किया जाता है। खराब लिफ्ट को ठीक कराने के लिए बजट मिल चुका है।
जल्द ही इसका काम शुरू होगा। अन्य दिक्कतों को दूर कर मरीजों को बेहतर इलाज मिले इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। डॉ. हरीश चंद्र पंत सीएमओ, नैनीताल
मंत्री जी ! आए दिन इन परेशानियों से भी जूझते हैं लोग
अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन लगभग डेढ़ साल से खराब है। नैनीताल रोड के चौड़ीकरण के दौरान वह कमरा भी तोड़ दिया गया जहां सीटी स्कैन मशीन लगी हुई थी।
अब मरीजों को सीटी स्कैन के लिए सुशीला तिवारी अस्पताल और फिर निजी चिकित्सालयों का रुख करना पड़ता है। अस्पताल प्रबंधन कभी नई मशीन का प्रस्ताव निदेशालय को भेजने और कभी बजट न होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेता है।
अस्पताल में डायलिसिस कराने आने वाले मरीजों को भूतल से प्रथम तल तक लाने और ले जाने के लिए दो लिफ्ट लगाई गई हैं। यह दोनों लिफ्ट दो साल से खराब हैं।
ऐसे में मरीजों को मजबूरन सीढ़िया चढ़नी पड़ती है। अस्पताल प्रबंधन लिफ्ट ठीक कराने में खर्च अधिक आने और नई लिफ्ट लगाने की बात कहता है लेकिन नई लिफ्ट कब लगेगी यह किसी को नहीं पता।
बेस अस्पताल का मुख्य भवन में इमरजेंसी के अलावा वार्ड हैं। यह इमारत जगह-जगह क्षतिग्रस्त है। कहीं प्लास्टर उखड़ा पड़ा है तो कहीं बरसात में सीलन रहती है।
भवन की जर्जर भवन मरम्मत का काम तो शुरू हो चुका है लेकिन इसकी गति इतनी धीमी है कि अस्पताल प्रबंधन को बार-बार कार्यदायी संस्था को पत्र भेजकर कार्य की रफ्तार तेज करने की याद दिलानी पड़ रही है।









