
आयुष्मान भारत योजना में अनियमितताओं के चलते राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने हरिद्वार और रुड़की के दो निजी अस्पतालों क्वाड्रा हॉस्पिटल और मेट्रो हॉस्पिटल की संबद्धता निलंबित कर दी है।
इन अस्पतालों पर मरीजों को गलत तरीके से आईसीयू में भर्ती दिखाने और फर्जी दस्तावेज पेश करने के आरोप हैं। दोनों अस्पतालों को पांच दिन में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
आयुष्मान भारत योजना के तहत गंभीर अनियमितता सामने आने के बाद राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने सख्ती दिखाते हुए हरिद्वार और रुड़की के दो निजी अस्पतालों क्वाड्रा हॉस्पिटल रुड़की और मेट्रो हॉस्पिटल हरिद्वार की संबद्धता तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी है।
दोनों अस्पतालों को पांच दिन के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं। इस दौरान योजना के तहत नए मरीजों की भर्ती पर रोक रहेगी, जबकि पहले से भर्ती मरीजों का इलाज जारी रहेगा।
क्वाड्रा हॉस्पिटल: 90 फीसदी मरीजों को आईसीयू में दिखाया भर्ती
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, क्वाड्रा हॉस्पिटल में सामान्य चिकित्सा के 1800 दावों में से 1619 मामलों में मरीजों को आईसीयू में भर्ती दिखाया गया, जबकि केवल 181 मामलों में ही उन्हें सामान्य वार्ड में रखा गया। यानी, कुल 90 प्रतिशत मामलों में आईसीयू पैकेज का इस्तेमाल किया गया, जो सामान्य श्रेणी के मरीजों के लिहाज से असामान्य रूप से अधिक है।
जांच में यह भी सामने आया कि अस्पताल में एक सुनियोजित पैटर्न के तहत अधिकतर मरीजों को पहले 3 से 6 दिन तक आईसीयू में रखा गया और छुट्टी से ठीक पहले 1 या 2 दिन के लिए सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। यह इसलिए किया गया ताकि आईसीयू पैकेज के भुगतान का औचित्य सिद्ध हो सके, क्योंकि नियमों के मुताबिक मरीज को सीधे आईसीयू से छुट्टी नहीं दी जा सकती।
कई सामान्य बीमारियों जैसे उल्टी, यूटीआई और निर्जलीकरण के मामलों में भी मरीजों को अनावश्यक रूप से गंभीर दर्शाकर आईसीयू में भर्ती दिखाया गया। खास बात यह रही कि अधिकतर मरीजों के तापमान को लगातार 102°F दिखाया गया, जो डिस्चार्ज के दिन अचानक 98°F हो जाता है।
इसके अलावा, मरीजों के बेड नंबर रोजाना बदलते रहे, और आईसीयू में भर्ती दर्शाए गए मरीजों की तस्वीरों में न तो मॉनिटर चालू थे, न ही आईवी लाइन लगी थी।अस्पताल में दाखिल मरीजों के फॉर्म में एक जैसे मोबाइल नंबर अलग-अलग परिवारों के नाम पर पाए गए, जबकि BIS रिकॉर्ड में उनके पते और पहचान अलग थे।
इतना ही नहीं, कई मरीजों को दस्तावेजों में गंभीर स्थिति में दिखाने के बाद भी उन्हें LAMA (Leave Against Medical Advice) के तहत छुट्टी दे दी गई। दस्तावेजों की भाषा और लिखावट में समानता भी फर्जीवाड़े की ओर इशारा करती है।
मेट्रो हॉस्पिटल: लगभग हर मरीज आईसीयू में भर्ती
हरिद्वार स्थित मेट्रो हॉस्पिटल की जांच में भी इसी तरह की अनियमितताएं सामने आईं। लगभग हर मरीज को 3 से 18 दिन तक आईसीयू में भर्ती दिखाया गया और बाद में छुट्टी से पहले सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया गया। अस्पताल द्वारा आईसीयू चार्ट, मरीज की तस्वीरें और अन्य आवश्यक दस्तावेज प्राधिकरण को उपलब्ध नहीं कराए गए, जो एसएचए के नियमों के तहत अनिवार्य हैं।
टीएमएस पोर्टल पर अपलोड किए गए दस्तावेजों से यह भी सामने आया कि कई ऐसे मरीज जो सामान्य बीमारियों से पीड़ित थे, उन्हें भी आईसीयू में भर्ती दिखाकर आईसीयू श्रेणी की अपकोडिंग की गई। अस्पताल द्वारा प्रस्तुत कई दस्तावेज धुंधले और अपठनीय भी पाए गए।
जवाब संतोषजनक न होने पर होगी बड़ी कार्रवाई
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि यदि तय समय में जवाब नहीं दिया गया या वह संतोषजनक नहीं पाया गया, तो दोनों अस्पतालों की योजना से स्थायी रूप से संबद्धता समाप्त की जाएगी। साथ ही, वित्तीय दंड की कार्रवाई भी की जाएगी। प्राधिकरण ने यह भी कहा कि इस तरह की गड़बड़ियों पर आगे भी सख्त नजर रखी जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।