
उत्तराखंड रोडवेज की बसों में सुरक्षा की कमी उजागर हुई है। फायर ब्रिगेड के प्रशिक्षण में पता चला कि कई CNG और वॉल्वो बसों में फायर सिलिंडर नहीं हैं, और चालकों को उनका उपयोग करना भी नहीं आता।
मुख्यालय ने निर्देश दिए हैं कि बिना सिलिंडर वाली बसों को रूट पर न भेजा जाए। यह खुलासा यात्रियों की सुरक्षा के प्रति लापरवाही को दर्शाता है।
देहरादून। उत्तराखंड परिवहन निगम (रोडवेज) यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कितना संवेदनशील है। इसकी हकीकत फायर बिग्रेड के अग्निशमन प्रशिक्षण के दौरान सामने आई। रोडवेज की अधिकतर सीएनजी एवं वाल्वो बसों में फायर सिलिंडर उपलब्ध नहीं थे।
जिन बसों में थे। उनमें भी अधिकतर सिलिंडर काम नहीं कर रहे थे। जो फायर सिलिंडर सही मिले। उनके चालक -परिचालकों को आगजनी होने पर सिलिंडर कैसे प्रयोग में लाना है।
इसकी जानकारी नहीं थी। ऐसे में निगम मुख्यालय ने निर्देश जारी कर दिए हैं। जिन बसों में फायर सिलिंडर नहीं है। उनको रूटों पर नहीं भेजा जाए।
दरअसल, रोडवेज की लंबी रूटों पर अनुबंधित सीएनजी एवं वाल्वो बसें संचालित की जा रही है। लेकिन अधिकतर बसें सुरक्षा के लिहाज से खतरे से खाली नहीं है। ना ही अधिकारियों ने यात्रियों की सुरक्षा को लेकर इस ओर झांकने की कोशिश की।
मंगलवार को जब आइएसबीटी फायर ब्रिगेड की टीम चालक- परिचालकों का प्रशिक्षण देने पहुंची। टीम ने बसों में लगे फायर सिलिंडर की जांच की। जिसमें अधिकतर सिलिंडर काम नहीं कर रहे थे। जो सिलिंडर काम कर रहे थे।
उनके चालक-परिचालकों का परीक्षण लिया गया। लेकिन उनको सिलिंडर कैसे प्रयोग में लाना है। इसकी जानकारी नहीं थी।
फायर टीम ने इसके बाद प्रशिक्षण की कार्रवाई शुरू की। परिसर के पास डेमो के तौर पर आग लगाई गई। टीम ने फायर सिलिंडर से आग पर काबू पाया। इसके बाद जब चालक-परिचालकों को फायर सिलिंडर को प्रयोग में लाने को कहा। तो काफी देर तक चालक-परिचालकों की समझ में नहीं आया।
अधिकारियों ने अग्निशमन प्रशिक्षण की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी। जिस पर मुख्यालय ने मामले को गंभीर बताया। महाप्रबंधक संचालन क्रांति सिंह ने बताया जिन सीएनजी बसों में फायर सिलिंडर नहीं है। उनको रूटों पर न भेजने के निर्देश जारी किए हैं।









