
सैनिक स्कूल घोड़ाखाल ने एक और उपलब्धि अपने नाम दर्ज की है। एक मार्च 1966 को स्थापित इस प्रतिष्ठित संस्थान ने अब तक देश को 850 से अधिक सैन्य अधिकारी दिए हैं।
अनुशासन, चरित्र निर्माण और राष्ट्रभक्ति की शिक्षा के लिए मशहूर सैनिक स्कूल घोड़ाखाल ने एक और उपलब्धि अपने नाम दर्ज की है। एक मार्च 1966 को स्थापित इस प्रतिष्ठित संस्थान ने अब तक देश को 850 से अधिक सैन्य अधिकारी दिए हैं।
इनमें कई अधिकारी ऐसे भी हैं जो भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में शीर्ष पदों तक पहुंचकर नेतृत्व की मिसाल पेश कर रहे हैं।
स्थापना के शुरुआती दिनों में महज 60 कैडेट, 7 शिक्षक और 5 प्रशासनिक कर्मचारियों के साथ शुरू हुए इस स्कूल ने समय के साथ खुद को देश के शीर्ष सैनिक विद्यालयों की श्रेणी में स्थापित किया।
1969 में पहला बैच स्नातक होने के साथ ही घोड़ाखाल की गौरवशाली परंपरा की नींव मजबूत हुई और जो आज भी जारी है। स्कूल की उपलब्धियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एनडीए, आईएमए और टीएस में अब तक सबसे अधिक कैडेट भेजने वाले सैनिक स्कूलों में घोड़ाखाल अग्रणी रहा है।
इस वर्ष स्कूल अपने 60 गौरवशाली वर्षों को हीरक जयंती के रूप में मना रहा है। यह सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि उस समृद्ध विरासत का सम्मान भी है, जिसने इस संस्थान को देश के सबसे सफल सैनिक स्कूलों में खड़ा किया है।
सैनिक स्कूल घोड़ाखाल की यह यात्रा बताती है कि सीमित संसाधनों से शुरू हुई पहल कैसे समर्पण, अनुशासन और दृढ़ संकल्प के दम पर राष्ट्रीय गौरव बन सकती है। संवाद
घोड़ाखाल को अब तक दस बार रक्षा मंत्री ट्रॉफी से सम्मानित किया जा चुका है। यह सम्मान अधिकतम कैडेट को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी भेजने की उपलब्धि के लिए मिलता है।
यह इस बात का प्रमाण है कि विद्यालय उत्कृष्टता के अपने मानदंड को लगातार ऊंचा उठाता रहा है। – ग्रुप कैप्टन विजय सिंह डंगवाल, प्रधानाचार्य









