
यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पन्त ने बताया कि पोस्ट डिजास्टर तो हम बात करते हैं लेकिन अगर उससे पहले पूर्वानुमान कर लें तो नुकसान से बचा जा सकता है।
इसमें हिमालयी राज्यों के लिए हमारे पास क्या हो। इन राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस को उत्तराखंड में कैसे लागू करें। 57 देशों से विशेषज्ञ इसमें शामिल होंगे।
उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) का तीन दिवसीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन और विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन 28 से 30 नवम्बर को ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में होगा।
यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पन्त ने बताया कि राज्य सरकार की ये महत्त्वपूर्ण पहल है। 28 नवंबर को दो वर्ष पूर्व सिलक्यारा में ऑपरेशन सफल हुआ था। उसी समय इसका शुभारंभ भी है।
आपदा प्रभावित राज्य में इसके समाधान पर मंथन होगा। राज्य की साइंस टेक्नोलॉजी सम्मेलन में विज्ञान प्रीमियर लीग हुई है। उनमें से 13 टीम देहरादून आ रही हैं। हमको समुदाय को तैयार करना होगा। कई देशों के राजदूत भी आ रहे हैं।
पोस्ट डिजास्टर तो हम बात करते हैं लेकिन अगर उससे पहले पूर्वानुमान कर लें तो नुकसान से बचा जा सकता है। इसमें हिमालयी राज्यों के लिए हमारे पास क्या हो। इन राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस को उत्तराखंड में कैसे लागू करें। 57 देशों से विशेषज्ञ इसमें शामिल होंगे। आर्म्ड फोर्सेज का सत्र होगा।
प्रो. पंत ने बताया कि क्लाइमेट चेंज और डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए उत्तराखंड को तैयार करना है। देशभर के विभिन्न राज्यों से भी विशेषज्ञ यहां आएंगे।केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का भी सत्र होगा। राज्य के सभी वैज्ञानिक, संस्थानों को इसमें जोड़ा जाएगा।
बताया कि एनआईएम के साथ मिलकर एसओएस का कोर्स तैयार किया है। साइंस ऑफ सरवाइवल के तहत गत वर्ष बात हुई थी। इस बार हमने 80 वर्ष से अधिक आयु वालों के आपदा में बचाव पर फोकस किया है। हिमालयी राज्यों में समन्वय के लिए कमेटी बनी है।









