Big Breaking:-उत्तराखंड में आयोजित अल्ट्रा मैराथन को मिली वैश्विक पहचान, दुनिया की पांच सबसे ऊंची दौड़ में शामिल

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में पहली बार आयोजित अल्ट्रा मैराथन को वैश्विक पहचान मिली है। यह दुनिया की पांच सबसे ऊंची जगहों पर होने वाली दौड़ में शामिल हो गया है।

14700 फीट की ऊंचाई पर हुई इस दौड़ में देशभर से 800 धावकों ने भाग लिया। इस आयोजन से शीतकालीन पर्यटन और स्थानीय लोगों के लिए स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

हल्द्वानी। चीन-नेपाल सीमा से लगे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में पहली बार आयोजित अल्ट्रा मैराथन ने वैश्विक पहचान बना ली है। यहां दो नवंबर को हुआ आयोजन अब दुनिया के पांच सबसे अधिक ऊंचाई वाले स्थलों (हाई एल्टीट्यूड) पर होने वाली अल्ट्रा मैराथन में शामिल हो गया है।

पिथौरागढ़ में अल्ट्रा मैराथन समुद्र तल से 14700 फीट ऊंचाई पर हुई। दुनिया में सबसे ऊंचाई पर अल्ट्रा मैराथन तंजानिया में होती है। शीर्ष पांच में शामिल दो अन्य आयोजन भी भारत में और एक नेपाल में होता है।

पिथौरागढ़ के आयोजन की खास बात यह रही कि यह शीतकाल में हुई, जबकि अन्य चार दौड़ ग्रीष्मकाल में होती हैं। जिस स्थल यानी ज्योलिंगकांग (आदि कैलास) से 60 किमी की दौड़ शुरू हुई, वहां का तापमान माइनस 18 डिग्री था।

ऐसे में यह राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। साथ ही इससे सीमांत क्षेत्र में शीतकालीन पर्यटन के साथ ही स्वरोजगार की संभावनाओं को और पंख लग गए हैं।

पर्यटन विभाग उत्तराखंड की ओर से भारत तिब्बत पुलिस बल (आइटीबीपी) के सहयोग से दो नवंबर को आयोजित अल्ट्रा मैराथन-आदि कैलास परिक्रमा रन में देशभर के लगभग 800 धावक शामिल हुए। पांच श्रेणी में आयोजित इस मैराथन में सबसे लंबी 60 किलोमीटर की दौड़ माइनस 18 डिग्री तापमान में ज्योलिंगकोंग से शुरू हुई और गुंजी,

कालापानी से वापस गुंजी में संपन्न हुई। धावकों के लिए यह स्थल केवल सैर-सपाटे तक सीमित नहीं था, बल्कि पवित्र आध्यात्मिक स्थल आदि कैलास की यात्रा भी थी।

12 अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आदि कैलास दर्शन के बाद इस अलौकिक स्थल की पहचान और बढ़ गई। अब वैश्विक स्तर के आयोजन से यहां शीतकालीन साहसिक पर्यटन की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

सामुदायिक सहभागिता व होम स्टे को बढ़ावा

अल्ट्रा मैराथन में धावकों के लिए भोजन किसी होटल में नहीं बना था और न ही विशेष रसाइये बुलाए गए थे। सीमांत के तीन गांव नाबी, रौंककोंग व गुंजी के लोगों ने ही सामुदायिक सहभागिता से तैयार भोजन धावकों को परोसा।

साथ ही सभी धावक इन्हीं ग्रामीणों के होम स्टे में ठहरे भी। सिक्किम, अरुणाचल, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा व दिल्ली आदि से आए युवाओं यहां की भव्यता व दिव्यता काफी पसंद आई।

शीर्ष ऊंचाई पर अल्ट्रा मैराथन वाले देश

  • सबसे ऊंची ट्रेल अल्ट्रा मैराथन (तंजानिया): गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड्स के अनुसार अब तक की सबसे ऊंचाई यानी समुद्र तल से 19,341 फीट (5,895 मीटर) पर अल्ट्रा मैराथन मई 2022 में तंजानिया के माउंट किलिमंजारो में आयोजित की गई थी।
  • लद्दाख उमलिंगला चैलेंज (भारत):  दूसरे नंबर पर 19,024 फीट की ऊंचाई पर 50 किलोमीटर लंबी यह दौड़ उमलिंगला दर्रे से शुरू होकर चिसुमले पुल तक जाती है।
  • खारदुंगला चैलेंज (भारत) : 72 किलोमीटर लंबी यह अल्ट्रा मैराथन विश्व की सबसे ऊंची सड़कों में से एक खारदुंगला में आयोजित होती है। इसकी शुरुआत 13,042 फीट से होती है और यह खारदुंगला दर्रे (17,618 फीट) तक पहुंचती है।
  • अल्ट्रा ट्रेल एवरेस्ट मैराथन (नेपाल): यह 17,598 फीट (5,364 मीटर) की ऊंचाई से शुरू होती है और इसका मार्ग गोरकशेप, डिंगबोचे और बिब्रे जैसे ऊंचाई वाले गांवों से होकर नीचे की ओर जाता है।
  • अल्ट्रा मैराथन-आदि कैलास परिक्रमा रन (भारत) : विश्व में पांचवीं सबसे ऊंचाई वाली अल्ट्रा मैराथन दो नवंबर को पहली बार आयोजित हुई। 60 किमी लंबी यह दौड़ 14700 फीट की ऊंचाई पर स्थित ज्योलिंगकोंग (आदि कैलास) से शुरू होकर 10500 फीट पर वाइब्रेंट विलेज गुंजी में पूरी हुई।

इस अल्ट्रा मैराथन का उद्देश्य सीमांत व वाइब्रेंट विलेज में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देना रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस तरह के पर्यटन को बढ़ावा देने को कहा था।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पहले चरण में धारचूला में सफल अल्ट्रा मैराथन का आयोजन किया गया। विश्व की सबसे अधिक ऊंचाई वाले स्थलों में यह पांचवे स्थान पर शामिल हो गया है।


-धीराज सिंह गर्ब्याल, सचिव पर्यटन उत्तराखंड

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