Big Breaking:-मसूरी वन प्रभाग में पिलर गायब होने और अतिक्रमण पर केंद्र ने तलब की रिपोर्ट

मसूरी वन प्रभाग में 7375 पिलर गायब होने और वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड शासन से विस्तृत जांच रिपोर्ट तलब की है। मंत्रालय ने वन संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन की आशंका जताई है और दोषियों पर कार्रवाई का दबाव बनाया है। मुख्य वन संरक्षक ने कनिष्ठ अधिकारी द्वारा दोबारा जांच कराने पर सवाल उठाए हैं।

• मसूरी वन प्रभाग की विभिन्न रेंज में 7,375 सीमा स्तंभ (पिलर) गायब होने का लिया संज्ञान

• तत्कालीन डीएफओ की रिपोर्ट और जांच में पुष्टि के बाद वन विभाग दोबारा कर रहा खानापूर्ति

देहरादून। मसूरी वन प्रभाग में 7,375 पिलर के मौके से गायब होने और वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले ने अब केंद्र सरकार ने संज्ञान ले लिया है। इस गंभीर प्रकरण पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उत्तराखंड शासन से तत्काल विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है।

साथ ही दोषियों पर कार्रवाई का भी दबाव बनाया है। प्रकरण में तत्कालीन डीएफओ की ओर से पूर्व में ही रिपोर्ट प्रस्तुति की जा चुकी है और जांच में गड़बड़ी की पुष्टि भी हो चुकी है, लेकिन वर्तमान में वन विभाग के प्रकरण की दोबारा जांच कराने पर सवाल उठ रहे हैं।

मंत्रालय की सहायक महानिरीक्षक वन (केंद्रीय) नीलिमा शाह की ओर से प्रमुख सचिव (वन) उत्तराखंड शासन को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि वन संरक्षण अधिनियम-1980 की धारा दो के प्रविधानों के उल्लंघन की आशंका है।

साथ ही इस प्रकरण की धारा तीन-ए के अंतर्गत कड़ी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। केंद्र को यह मामला तब पता चला जब तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक (कार्ययोजना), हल्द्वानी संजीव चतुर्वेदी की ओर से भेजे गए 22 अगस्त के पत्र में मसूरी वन प्रभाग की पुनरीक्षणाधीन कार्य योजना के दौरान हुए बड़े खुलासे की जानकारी दी गई।


पत्र में बताया गया कि मसूरी वन प्रभाग के अंतर्गत 7,375 सीमा स्तंभ ऐसे पाए गए जो मानचित्र में दर्ज हैं, लेकिन मौके पर मौजूद नहीं हैं। इस दौरान वन भूमि पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण भी शिकायतें मिलीं। इसी आधार पर मुख्य वन संरक्षक ने केंद्र सरकार से कार्रवाई का अनुरोध किया था।

सम्बंधित खबरें