
देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालयः डॉ. भावना गोयल एवं टीम की पहल से उत्तराखंड के पारंपरिक परिधानों के लिए इनोवेटिव स्वदेशी फैब्रिक तैयार
देहरादूनः देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय के फैशन डिज़ाइन विभाग की डीन एवं प्रोफेसर डॉ. भावना गोयल ने उत्तराखंड में पहली बार बिच्छू घास और रेयॉन से एक पूर्णतः पर्यावरण-अनुकूल वस्त्र विकसित किया है,
जिससे प्रदेश को नई पहचान मिली है। यह कपड़ा हैंडलूम पर उत्तराखंड के स्थानीय कारीगरों द्वारा तैयार किया गया है, जिसकी मजबूती, रेशम जैसी चमक और कपास जैसी आरामदायक अनुभूति इसे फैशन और टेक्सटाइल उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण सस्टेनेबल विकल्प बनाती है।
उत्तराखंड की पारंपरिक कारीगरी को नया आयाम देने के लिए हाल ही में तैयार किए गए स्वदेशी और इको-फ्रेंडली फैब्रिक का इस्तेमाल अब परिधानों के डिज़ाइन और निर्माण में किया जा रहा है। इस परियोजना में देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट्स,
जर्नलिज़्म, इकोनॉमिक्स, पब्लिक पॉलिसी और फैशन डिज़ाइन स्कूल के स्टूडेंट्स एक टीम की तरह काम कर रहे हैं। छात्र-छात्राएं डिज़ाइन, मार्केटिंग, इकोनॉमिक पहलू, पब्लिक पॉलिसी और मीडिया कवर के साथ-साथ फैशन निर्माण में योगदान दे रहे हैं।
इस पहल से न केवल पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित होता है, बल्कि उत्तराखंड के स्थानीय कारीगरों को सतत रोजगार भी मिल रहा है। नवोन्मेषक डॉ. भावना गोयल के अनुसार, छात्र इस नए फैब्रिक








