
सरकारी जमीन बेचकर बनाई अचल संपत्ति, ईडी की कार्रवाई से मची हलचल
उत्तराखंड की राजधानी दून के बहुचर्चित जमीन फर्जीवाड़ा प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 2.20 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्तियों को कुर्क कर लिया है।
ईडी ने 1 अक्टूबर 2025 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत यह अनंतिम कुर्की आदेश जारी किया। कुर्क की गई संपत्तियों में राजपुर रोड स्थित कैफे संचालक गोपाल गोयनका की जमीन भी शामिल है।
ईडी की जांच के अनुसार गोयनका और अन्य आरोपियों ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर कर देहरादून के जोहड़ी गांव की करीब 2 हेक्टेयर सरकारी जमीन निजी व्यक्तियों को धोखाधड़ी से बेच दी।
दस्तावेजों में ओवरराइटिंग और फर्जी प्रविष्टियां कर जमीन को निजी नामों पर चढ़ाया गया। जांच में यह भी सामने आया है कि गोयनका ने इस जमीन को बेचकर अवैध धन अर्जित किया और उससे अन्य संपत्तियां खरीदीं।
पुराने मामले की परतें
यह मामला नया नहीं है। दून के नामी उद्योगपति सुधीर विंडलास और उनके सहयोगियों पर जमीन कब्जाने और फर्जीवाड़े के आरोप पहले से ही चल रहे हैं। वर्ष 2018 में राजपुर थाने में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था।
बाद में जनवरी 2022 में दून पैरामेडिकल कॉलेज संचालक संजय सिंह चौधरी और रिटायर्ड ले. कर्नल सोबन सिंह दानू ने भी फर्जीवाड़े की शिकायतें दर्ज कराईं। कुल चार मुकदमे दर्ज होने के बाद अक्टूबर 2022 में इन मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी गई।
सीबीआई की जांच में उद्योगपति सुधीर विंडलास और कैफे संचालक गोपाल गोयनका समेत करीब 20 लोग आरोपी बनाए गए। आरोप है कि इन्होंने राजपुर के पुरकुल क्षेत्र की एक हेक्टेयर सरकारी जमीन पर कब्जा कर उसे अपने नाम दर्ज कर लिया और बाद में अन्य भूमि पर भी इसी तरह फर्जी दस्तावेज तैयार कर सौदे किए।
ईडी की सख्ती
सीबीआई की एफआईआर के आधार पर ईडी ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की। गोपाल गोयनका को पहले भी पूछताछ के लिए तलब किया गया था, जिसमें उसने कई सवालों के गोलमोल जवाब दिए।
ईडी ने राजस्व विभाग के कई अधिकारियों—राजस्व उपनिरीक्षक, नायब तहसीलदार और तहसीलदार—से भी पूछताछ की थी, जिन्होंने आरोपियों द्वारा धोखाधड़ी से जमीन अपने नाम कराने की पुष्टि की।
ईडी सूत्रों के अनुसार ताजा कुर्की कार्रवाई के बाद आरोपियों पर शिकंजा और कस सकता है। एजेंसी निकट भविष्य में आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी और अतिरिक्त संपत्तियों की जब्ती भी कर सकती है।
ग्रामीणों का दावा
स्थानीय शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि आरोपियों ने सरकारी भूमि पर कब्जा कर उसे करोड़ों में बेचा, जिससे न केवल सरकारी खजाने को नुकसान हुआ बल्कि वास्तविक भूमि धारकों को भी भारी हानि उठानी पड़ी।
