
वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल के माथे से आठ साल बाद देशद्रोह का कलंक मिटा। निशांत पर ब्रह्मोस मिसाइल की सूचनाएं पाकिस्तान को देने का आरोप लगा था।
27 साल का रुड़की का युवा वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल जिस समय अपने साथियों के साथ ब्रह्मोस एयरस्पेस नागपुर में मिसाइल बना रहा था और कुछ दिन पहले ही जिसे डीआरडीओ ने यंग साइंटिस्ट का अवार्ड दिया था, एकाएक यूपी और महाराष्ट्र की एटीएस ने उसे पाकिस्तान को ब्रह्मोस मिसाइल की तकनीक लीक करने आरोप में गिरफ्त में ले लिया।
महज साढ़े पांच माह पूर्व ही विवाह के बंधन में बंधी पत्नी के लिए आठ अक्तूबर, 2018 की वह सुबह काली रात जैसी थी, देशद्रोह का कलंक लिए पति आठ साल जेल के पीछे तो पत्नी और मां ने घर में अघोषित जेल काटी। एक दिसंबर 2025 को बांबे हाईकोर्ट के बरी करने के फैसले से घर में खुशियां फिर लौट आईं।
नेहरू नगर रुड़की स्थित ससुराल में अपनी सास रितु अग्रवाल के साथ क्षितिजा अग्रवाल ने बताया कि उनके पति निशांत अग्रवाल ने 2013 में नागपुर स्थित ब्रह्मोस एयरस्पेस में बतौर वैज्ञानिक ज्वाइन किया था। अक्तूबर 2018 में निशांत को डीआरडीओ ने दिल्ली में यंग साइंटिस्ट का अवॉर्ड मिला।
इससे करीब साढ़े पांच माह पूर्व ही उसकी शादी हुई थी। फिर आई 8 अक्तूबर की सुबह यूपी और महाराष्ट्र एटीएस ने साढ़े चार बजे उनके घर का दरवाजा खटखटाया और घर की तलाशी लेकर लैपटॉप, मोबाइल कब्जे में लेने के साथ ही निशांत को गिरफ्तार कर लिया।
पैरों तले जमीन खिसक
हम लोगों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। उन्होंने बताया कि करीब नौ महीने बाद नागपुर सेशन कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई। करीब 6 साल तक बेहद मुश्किल हालात में वक्त बीता और 3 जून 2024 को उम्मीद के विपरीत जब कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि हमें पता था कि फोरेंसिक टीम को भी किसी तरह की सूचना लीक होने के सबूत नहीं मिले हैं। इसके बाद भी हमने हिम्मत नहीं हारी। खुद को फिर खड़ा किया और फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
आखिरकार सच की जीत हुई
आखिरकार सच की जीत हुई और 1 दिसंबर 2025 को बांबे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ से उनके हक में फैसला आया। क्षितिजा ने बताया कि कोर्ट में ये साबित भी नहीं हुआ कि कोई डाटा लैपटॉप से ट्रांसफर हुआ था, क्योंकि ऐसा कुछ था ही नहीं, हालांकि ट्रेनिंग के समय के कुछ यूजलेस मैटेरियल लैपटॉप में थे, जिन्हें आधार बनाया गया था।
निशांत की मां ऋतु अग्रवाल ने बताया कि बेटे को सजा मिलने के बाद सांस तो ले रही थीं मगर जिंदा नहीं थीं, सिर्फ एक भरोसे पर जिंदा थीं। क्षितिजा अग्रवाल ने बताया कि पति ने जेल में बेटे को लेकर आने मना कर दिया था, उन्हें विश्वास था कि वे एक न एक दिन बाहर आएंगे।
हर आंख में थे सवाल, कचोट रहे थे आरोप
एटीएस टीम उस समय रुड़की भी पहुंची थी और यहां से भी एक लैपटॉप कब्जे में लिया था, उस दौरान आसपास के लोगों की निगाहें पत्नी और मां को कचोट रही थीं। ऋतु अग्रवाल ने बताया कि आस-पड़ोस के लोगों के व्यवहार बदल गए थे लेकिन रिश्तेदारों ने साथ दिया और हम पर विश्वास रखा।









