
सनातन धर्म के इस महापर्व में अस्त होते सूर्य की भी पूजा पूरे विधान से की जाती है। व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजा की।
छठ महापर्व के तीसरे दिन उत्तराखंड में छठ की अनोखी छटा देखने को मिली। मैदानी इलाकों में ही नहीं बल्कि पहाड़ों में लोगों ने छठ पूजा की। देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश से लेकर कुमाऊं में भी छठ पूर्व पूरे श्रद्धाभाव और उल्लास के साथ मनाया गया। बीते दिन व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हुआ था।
वहीं, आज व्रतियों ने छठ घाटों पर जाकर पानी के बहते स्रोतों में खड़े हुए और जब भगवान भास्कर अस्ताचलगामी होने लगे तो उन्हें सायं कालीन अर्घ्य दिया। इस दौरान व्रतियों ने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान पहाड़ से मैदान तक घाटों पर भीड़ उमड़ी रही।

सनातन धर्म के इस महापर्व में अस्त होते सूर्य की भी पूजा पूरे विधान से की जाती है।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सूर्यास्त के बाद खरना करने का विधान है।

आज छठ घाटों की ओर जाते समय श्रद्धालुओं ने कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए जैसे पारंपरिक गीत गाए।

मंगलवार को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य देने के साथ सूर्योपासना का यह पर्व संपन्न हो जाएगा।








