
उत्तराखंड सरकार ने 5,000 शिक्षकों को चयन और प्रोन्नत वेतनमान पर मिलने वाला अतिरिक्त इंक्रीमेंट समाप्त कर दिया है; हालांकि पुरानी वसूली पर रोक रहेगी, लेकिन अब नए नियमों के आधार पर वेतन संशोधित किया जाएगा।
वित्त सचिव के अनुसार वर्ष 2016 से 2019 के बीच चयन-प्रोन्नत वेतनमान के दौरान अतिरिक्त इंक्रीमेंट पा चुके शिक्षकों से अधिक भुगतान की वसूली को स्थगित कर दिया गया है। लेकिन, उनके वेतनमान को नए सिरे से संशोधित किया जाएगा। इस संबंध में महानिदेशक शिक्षा को पत्र भेजा गया है।
सूत्रों के अनुसार, इससे शिक्षकों के वेतन से एक इंक्रीमेंट की कटौती हो जाएगी। चयन और प्रोन्नत वेतनमान पर एक इंक्रीमेंट का लाभ ले चुके करीब पांच हजार शिक्षक इस फैसले के दायरे में आ रहे हैं।
यह है विवाद
उत्तराखंड में शिक्षकों को 10 और उसके बाद 12 साल की सेवा अवधि के बाद उच्चतर वेतनमान दिया जाता है। वर्ष 2016 में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद से शिक्षकों को चयन-प्रोन्नत वेतनमान पर एक अतिरिक्त इंक्रीमेंट मिलने लगा था।
हालांकि, छह सितंबर 2019 को एक शासनादेश जारी कर राज्य सरकार ने नई व्यवस्था लागू कर दी थी। इसके तहत चयन प्रोन्नत वेतनमान के दायरे में आने पर वेतन को मैट्रिक्स में अगली कोष्ठिका में तय करने का प्रावधान कर दिया गया।
इससे पहले एक जनवरी 2016 से 13 सितंबर 2019 के बीच प्रदेश में बड़ी संख्या में शिक्षकों को इंक्रीमेंट का लाभमिल गया था। इस पर वर्ष 2019 के बाद शिक्षा विभाग ने इन शिक्षकों से पूर्व में दिए गए इंक्रीमेंट की रिकवरी शुरू कर दी थी।
इस फैसले के खिलाफ शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट की ओर से रिकवरी पर स्टे लगाए जाने के कारण इन शिक्षकों को इंक्रीमेंट का लाभ मिलता आ रहा था।
उत्तराखंड में करीब पांच हजार शिक्षकों के वेतन में बदलाव होगा। इन्हें चयन और प्रोन्नत वेतनमान के वक्त दिया गया अतिरिक्त इंक्रीमेंट अब नहीं मिलेगा। पिछले नौ साल से जारी विवाद में सरकार ने आखिरकार इंक्रीमेंट पर स्थिति साफ कर दी।
वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने सरकारी कर्मचारी वेतन नियम 2016 में इस बाबत संशोधन करते हुए अधिसूचना जारी की है। उन्होंने इन शिक्षकों का वेतन नए सिरे से तय करने के निर्देश दिए हैं।









